Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता - सुरा समर्थन - काका हाथरसी

मोटी पत्नी / काका हाथरसी 


ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल
 किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल
 लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा
 आठ बज गये किंतु पलंग पर पड़ा पुलंदा
 कहँ ‘ काका ' कविराय , खाय वह ठूँसमठूँसा
 यदि ऊपर गिर पड़े, बना दे पति का भूसा

   0
0 Comments